
मुख्तार :
कालाणु में उपचरित-स्वभाव नहीं है ऐसा सूत्र ३०-३१ में कहा गया है । जब कालाणु में उपचरित-स्वभाव ही नहीं है तो कालाणु उपचार से बहुप्रदेशी कैसे हो सकता है ? अर्थात् नहीं हो सकता । पुद्गल में उपचरित स्वभाव है, अत: पुद्गल परमाणु में उपचार से नानाप्रदेश-स्वभाव भी सम्भव है । |