पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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शुद्ध-स्वभाव
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शुद्धद्रव्यार्थिकेन शुद्धस्वभाव: ॥174॥
अन्वयार्थ :
शुद्ध द्रव्यार्थिक-नय की अपेक्षा शुद्ध-स्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
शुद्ध-स्वभाव शुद्ध-द्रव्यार्थिक नय का विषय है । शुद्ध-द्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र १८५ में है ।