पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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अशुद्ध-स्वभाव
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अशुद्धद्रव्यार्थिकेनाशुद्धस्वभाव: ॥175॥
अन्वयार्थ :
अशुद्धद्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा अशुद्ध-स्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
अशुद्ध-स्वभाव अशुद्ध-द्रव्यार्थिक नय का विषय है । अशुद्ध-द्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र १८६ में है ।