
मुख्तार :
सूत्र ३४ में 'सम्यग्ज्ञानं प्रमाणम्' कहा था किन्तु वहां पर सम्यग्ज्ञान का स्वरूप नहीं बतलाया गया था । यहाँ पर प्रमाण का विषय तथा कार्य बतलाया गया है । प्रमाण का विषय सकल वस्तु है अर्थात् वस्तु का पूर्ण अंश है और नय का विषय विकल वस्तु अथवा वस्तु का एकांश है । अर्थात् सकलादेश प्रमाण और विकलादेश नय है । वस्तु-स्वरूप का यथार्थ निश्चय करना प्रमाण का कार्य है । |