+ सविकल्‍प ज्ञान और उसके प्रकार -
सविकल्‍पं मानसं तच्‍चतुविधम् मतिश्रुतायधिमन:पर्यय-रूपम् ॥179॥
अन्वयार्थ : मानस अर्थात् विचार या इच्‍छा सहित ज्ञान सविकल्‍प ज्ञान है । वह चार प्रकार का है -- १. मतिज्ञान, २. श्रुतज्ञान, ३. अवधिज्ञान, ४. मन:-पर्ययज्ञान ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

मतिज्ञान और श्रुतज्ञान का कथन सूत्र ३८ में और अवधि, मन:पर्यय ज्ञान का कथन सूत्र ३६ में हो चुका है । ये चारों ज्ञान विचार-सहित या इच्‍छा सहित होते हैं इसलिये इनको सविकल्‍प कहा है । यहाँ पर मन का अर्थ इच्‍छा या विचार है ।