+ निर्विकल्‍प-ज्ञान -
निर्विकल्‍पं मनोरहितं केवलज्ञानम् ॥180॥
अन्वयार्थ : मन रहित अथवा विचार या इच्‍छा रहित ज्ञान निर्विकल्‍प ज्ञान है । केवलज्ञान निर्विकल्‍प है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

सूत्र ३७ में केवलज्ञान का कथन है । सूत्र १७९ व १८० में विकल्‍प का अर्थ मन किया है । यहां मन से अभिप्राय इच्‍छा या विचार का है । केवलज्ञान इच्‍छा या विचार रहित होना है, अत: केवलज्ञान को मनोरहित अर्थात् निर्विकल्‍प कहा गया है ।

॥ इस प्रकार प्रमाण व्‍युत्‍पत्ति का कथन हुआ ॥