पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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नय के प्रकार
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स द्वेधा सविकल्पनिर्विकल्पभेदात् ॥182॥
अन्वयार्थ :
सविकल्प और निर्विकल्प के भेद से नय भी दो प्रकार है ।
मुख्तार
मुख्तार :
नय दो प्रकार का है दुर्नय और सुनय । सापेक्ष अर्थात् सविकल्प सुनय है और निरपेक्ष, निर्विकल्प दुर्नय है ।
(का.अ.२६६/१९०)
॥ इस प्रकार नय की व्युत्पत्ति का कथन हुआ ॥