पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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द्रव्यार्थिक-नय
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द्रव्यमेवार्थः प्रयोजनमस्येति द्रव्यार्थिकः ॥184॥
अन्वयार्थ :
द्रव्य जिसका प्रयोजन
(विषय)
है वह द्रव्यार्थिक नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
सूत्र ४१ के विशेषार्थ में इसका विशेष कथन है ।