+ अशुद्ध-द्रव्‍यार्थिक-नय -
अशुद्धद्रव्‍यमेवार्थः प्रयोजनमस्‍येति अशुद्धद्रव्‍यार्थिकः ॥186॥
अन्वयार्थ : अशुद्ध-द्रव्‍य जिसका प्रयोजन है वह अशुद्ध-द्रव्‍यार्थिक नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

द्वअणुक आदि स्‍कंघ रूप अशुद्ध पुद्गल-द्रव्‍य और नर, नारक आदि संसारी जीवरूप अशुद्ध जीव-द्रव्‍य इस अशुद्ध द्रव्‍यार्थिक नय के विषय हैं । सूत्र ५०-५१-५२ में अशुद्ध द्रव्‍यार्थिक नय के भेदों का कथन है ।