अन्वयार्थ : अशुद्ध-द्रव्य जिसका प्रयोजन है वह अशुद्ध-द्रव्यार्थिक नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
द्वअणुक आदि स्कंघ रूप अशुद्ध पुद्गल-द्रव्य और नर, नारक आदि संसारी जीवरूप अशुद्ध जीव-द्रव्य इस अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय के विषय हैं । सूत्र ५०-५१-५२ में अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय के भेदों का कथन है ।