+ स्‍वद्रव्‍यादिग्राहक द्रव्‍यार्थिक-नय -
स्‍वद्रव्‍यादिग्रहणमर्थः प्रयोजनमस्‍येति स्‍वद्रव्‍यादिग्राहकः ॥188॥
अन्वयार्थ : स्‍वद्रव्‍य, स्‍वक्षेत्र, स्‍वकाल और स्‍वभाव अर्थात् स्‍वचतुष्‍टय को ग्रहण करना जिसका प्रयोजन है वह स्‍वद्रव्‍यादिग्राहक द्रव्‍यार्थिक नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

सूत्र ५४ में इसका विशेष कथन हो चुका है ।