+ परद्रव्‍यादिग्राहक द्रव्‍यार्थिक-नय -
परद्रव्‍यादिग्रहणमर्थः प्रयोजनमस्‍येति परद्रव्‍यादिग्राहकः ॥189॥
अन्वयार्थ : परद्रव्‍य, परक्षेत्र, परकाल, परस्‍वभाव अर्थात् परचतुष्‍टय को ग्रहण करना जिसका प्रयोजन है वह परद्रव्‍यादिग्राहक द्रव्‍यार्थिक नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

इसका विशेष कथन सूत्र ५५ में है ।