+ परमभाव-ग्राहक द्रव्‍यार्थिक-नय -
परमभावग्रहणमर्थः प्रयोजनमस्‍येति परमभावग्राहकः ॥190॥
अन्वयार्थ : परमभाव ग्रहण करना जिसका प्रयोजन है वह परमभाव-ग्राहक द्रव्‍यार्थिक नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

इस नय का विशेष कथन सूत्र ५६ में है ।

॥ इस प्रकार द्रव्‍यार्थिक नय की व्‍युत्‍‍पत्त्‍िा का कथन हुआ ॥