पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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पर्यायार्थिक-नय
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पर्याय एवार्थः प्रयोजनमस्येति पर्यायार्थिक ॥191॥
अन्वयार्थ :
पर्याय ही जिसका प्रयोजन है वह पर्यायार्थिक नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
सूत्र ४१ के विशेषार्थ में इसका विशेष कथन है ।