पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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अनादि-नित्य पर्यायार्थिक-नय
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अनादिनित्यपर्याय एवार्थः प्रयोजनमस्येत्यानादिनित्य-पर्यायार्थिकः ॥192॥
अन्वयार्थ :
अनादि-नित्य पर्याय जिसका प्रयोजन है वह अनादि-नित्य पर्यायार्थिक नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
मेरू आदि, पुद्गल द्रव्य की अनादि-नित्य पर्याय है । इस नय का विशेष कथन सूत्र ५८ में है ।