
सादिनित्यपर्याय एवार्थः प्रयोजनमस्येति सादिनित्यपर्यायार्थिकः ॥193॥
अन्वयार्थ : सादि-नित्य पर्याय जिसका प्रयोजन है, वह सादि-नित्य पर्यायार्थिक नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
जीव की सिद्ध-पर्याय सादि है किन्तु नित्य है । इस नय का विशेष कथन सूत्र ५९ में है ।
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