+ शुद्ध पर्यायार्थिक-नय -
शुद्धपर्याय एवार्थः प्रयोजनमस्‍येति शुद्धपर्यायार्थिकः ॥194॥
अन्वयार्थ : शुद्धपर्याय जिसका प्रयोजन है, वह शुद्धपर्यायार्थिक नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

शुद्ध-द्रव्‍य की पर्याय शुद्ध होती है । धर्म-द्रव्‍य, आकाश-द्रव्‍य, काल-द्रव्‍य, सिद्ध जीव-द्रव्‍य और परमाणुरूप पुद्गल-द्रव्‍य शुद्ध-द्रव्‍य हैं अतः इनकी पर्यायें भी शुद्ध हैं, जो शुद्ध-पर्यायार्थिक नय का विषय है । शुद्ध-पर्यायार्थिक नय के नित्‍य, अनित्‍य की अपेक्षा दो भेद हैं जिनका कथन सिूत्र ६२ व ६० में है ।