अन्वयार्थ : जो एक जो प्राप्त नहीं होता अर्थात् अनेक को प्राप्त होता है वह निगम है । निगम का अर्थ विकल्प है । जो विकल्प को ग्रहण करे वह नैगम नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
इस नय का कथन सूत्र ४१ के विशेषार्थ में है । इसके भेदों का कथन सूत्र ६४ से ६७ तक है ।