पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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संग्रह-नय
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अभेदरूपतया वस्तुजातं संगृह्णातीति संग्रहः ॥197॥
अन्वयार्थ :
जो नय अभेद रूप से सम्पूर्ण वस्तु समूह को विषय करता है, वह संग्रह नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
इस नय का विशेष कथन सूत्र ४१ के विशेषार्थ में है । इसके भेदों का कथन सूत्र ६८ से ७० तक है ।