+ संग्रह-नय -
अभेदरूपतया वस्‍तुजातं संगृह्णातीति संग्रहः ॥197॥
अन्वयार्थ : जो नय अभेद रूप से सम्‍पूर्ण वस्‍तु समूह को विषय करता है, वह संग्रह नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

इस नय का विशेष कथन सूत्र ४१ के विशेषार्थ में है । इसके भेदों का कथन सूत्र ६८ से ७० तक है ।