+ ऋजुसूत्र-नय -
ऋजु प्रांजलं सूत्रयतीति ऋजुसूत्रः ॥199॥
अन्वयार्थ : जो नय ऋजु अर्थात् श्रवक, सरल को सूत्रित अर्थात् ग्रहण करता है वह ऋजुसूत्र नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

इसका विशेष कथन सूत्र ४१ के विशेषार्थ में है तथा भेदों का कथन सूत्र ७३ से ७५ में है ।