पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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ऋजुसूत्र-नय
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ऋजु प्रांजलं सूत्रयतीति ऋजुसूत्रः ॥199॥
अन्वयार्थ :
जो नय ऋजु अर्थात् श्रवक, सरल को सूत्रित अर्थात् ग्रहण करता है वह ऋजुसूत्र नय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
इसका विशेष कथन सूत्र ४१ के विशेषार्थ में है तथा भेदों का कथन सूत्र ७३ से ७५ में है ।