पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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असद्भूत व्यवहार-नय
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अन्यत्र प्रसिद्धस्य धर्मस्यान्यत्र समारोपणमसद्भूतव्यवहारः ॥207॥
अन्वयार्थ :
अन्यत्र प्रसिद्ध वर्ष
(स्वभाव)
अन्यत्र समारोप
(निक्षेप)
करने वाला असद्भूत व्यवहारनय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
इसका विशेष कथन सूत्र ४४ के विशेषार्थ में है और इसके भेदों का कथन सूत्र ८४ से ८७ तक है ।