
गुणगुणिनोः पर्यायपर्यायिणोः स्वभावस्वभाविनोः कारक-कारकिणोर्भेदः सद्भूतव्यवहारस्यार्थः ॥209॥
अन्वयार्थ : गुण-गुणी में, पर्याय-पर्यायी में, स्वभाव-स्वभावी में, कारक-कारकी में भेद करना सद्भूत व्यवहारनय का विषय है ।
मुख्तार
मुख्तार :
इसका विशेष कथन सूत्र ४४ के विशेषार्थ में है तथा भेदों का कथन सूत्र ८१-८२-८३ में है ।
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