
मुख्तार :
बिलाव को सिंह कहना । यहाँ पर विलाव और सिंह में सादृश्य सम्बन्ध है अतः सिंहरूप मुख्य के अभाव में सिंह को समझाने के लिये विलाव को सिंह कहा गया है । चूहे और सिंह में सादृश्य सम्बन्ध नहीं है अतः चूहे में सिंह का उपचार नहीं किया जाता है । टिप्पण अनुसार - यदि यहाँ कोई प्रश्न करे कि उपचार नय पृथक् क्यों कहा गया, यह तो व्यवहारनय का ही भेद है इसलिये व्यवहारनय का ही कथन करता चाहिये था, तो इसका उत्तर दिया जाता है कि -- उपचार के कथन बिना, किसी भी एक कार्य की सिद्धि नहीं होती । जहां पर मुख्य वस्तु का अभाव हो, वहां पर प्रयोजन या निमित्त के उपलब्ध होने पर उपचार की प्रवृत्ति की जाती है । वह उपचार भी सम्बन्ध के बिना नहीं होता । इस प्रकार उपचरित असद्भूत व्यवहार नय की प्रवृत्ति होता है । इसलिये उपचरित नय भिन्न रूप से कहा गया है । सूत्र ४४ के विशेषार्थ में भी इस नय का कथन है । इसके भेदों का कथन सूत्र ८८ से ९१ तक है । |