पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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व्यवहारनय के प्रकार
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व्यवहारो द्विविधः सद्भूतव्यवहारोऽसद्भूतव्यवहारश्च ॥220॥
अन्वयार्थ :
सद्भूतव्यवहार नय और असद्भूतव्यवहार नय के भेद से व्यवहारनय दो प्रकार का है ।
मुख्तार
मुख्तार :
एक सत्ता वाले पदार्थों को जो विषय करे वह सद्भूत व्यवहारनय है और भिन्न सत्ता वाले पदार्थों को जो विषय करे वह असद्भूत व्यवहारनय है ।