+ असद्भूत व्‍यवहार-नय -
भिन्‍नवस्‍तुविषयोऽसद्भूतव्‍यवहारः ॥222॥
अन्वयार्थ : भिन्‍न वस्‍तुओं को विषय करने वाला असद्भूतव्‍यवहार नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

जैसे एक स्‍थान पर भेड़ें तिष्‍ठती हैं परन्‍तु पृथक्-पृथक् हैं, इसी प्रकार भिन्‍न-भिन्‍न सत्ता वाले पदार्थों के सम्‍बन्‍ध को विषय करने वाला असद्भूतव्‍यवहार है । जैसे -- ज्ञान, ज्ञेय पदार्थों को जानता है । अर्थात् ज्ञेय-ज्ञायक सम्‍बन्‍ध, वाच्‍य-वाचक सम्‍बन्‍ध आदि सब सम्‍बन्‍ध असद्भूत व्‍यवहारनय के विषय हैं ।