+ अपनी मर्यादा में सभी नय सच्चे -
णिययवयणिज्जसच्चा सव्वनया परवियालणे मोहा ।
ते उण ण दिट्ठसमओ विभयइ सच्चे व अलिए वा ॥28॥
निजकवचनीयसत्याः सर्वनयाः परविगालने मोघाः ।
स पुनर्न दृष्टसमयो विभजते सत्ये वा अलीके वा ॥28॥
अन्वयार्थ : [सव्वणया] सभी नय [णियय] अपने (अपने) [वयणिज्ज] वक्तव्य (में) [सच्चा] सच्चे हैं और [परवियालणे] दूसरे (के वक्तव्य का) निराकरण (करने) में [मोहा] व्यर्थ हैं [दिट्ठसमयो] सिद्धान्त (का) ज्ञाता [पुण] फिर [ते] उन (नयों का) [सच्चे] सत्य में (यह सच्चा है) [व] अथवा [अलिए] झूठ में (यह झूठा है) ऐसा [ण] नहीं [विभयइ] विभाग करता ।
Meaning : All the Nayas are right in their own respective spheres -- but if they encroach upon the province of other Nayas and they try to refute their views they are wrong.

  विशेष