उदिते केवलबोधे धनद: शक्राज्ञया चकार सभाम् ।
समवसृतिनामधेयां तस्य स्यादखिललोक गुरो: ॥४१॥
अन्वयार्थ : [केवल बोधे] केवलज्ञान के [उदिते] उदित होने पर [धनदः] कुबेर ने [शक्राज्ञया] इन्द्र की आज्ञा से [समवसृति नामधेया] समवशरण नाम की [सभा] सभा [तस्य अखिल लोक गुरोः] उन सम्पूर्ण लोक के गुरु की [चकार] बनायी।