दिव्यध्वनेरनिर्गमकारणमवगम्य गणधराभावम् ।
आनेतुमगात्तमत: सुत्रामा गौतमग्रामम् ॥४३॥
अन्वयार्थ : [सुत्रामा] इन्द्र [गणधराभावम्] गणधर के अभाव को [दिव्यध्वनेरनिर्गमकारण] दिव्यध्वनि के नहीं खिरने का कारण [अवगम्य] जानकर [अतः] वहाँ से समवशरण सभा से [तम्] उस गणधर को [आनेतु] लाने के लिये [गौतम ग्रामम] गौतम नामक ग्राम को [अगात्] गया।