यदि सर्वशास्त्रतत्त्वं जानन्ति भवन्त एव तदमुष्या: ।
आर्याया: कथयन्त्वर्थमिति पठति तत्काव्यं ॥५१॥
अन्वयार्थ : [यदि] अगर [भवन्तः] आप [सर्वशास्त्र तत्त्वं] सम्पूर्ण शास्त्रों के तत्त्व को [जानन्ति] जानते हैं [तत्] तो [अमुष्या] इस [आर्यायाः] आर्या छन्द में रचित पद्य का एक ही अर्थ [कथयन्तु] कहिये। [इति] इस प्रकार कहकर [तत्काव्यं] उस कविता रूप रचना को [पठति] वह ब्राह्मण छात्रवेशधारी इन्द्र पढ़ता है।