षड्द्रव्यनवपदार्थत्रिकालपंचास्तिकायषट्कायान् ।
विदुषां वर: स एव हि यो जानाति प्रमाण नयै: ॥५२॥
अन्वयार्थ : [यः] जो [प्रमाण नयै:] प्रमाण और नयों के द्वारा [षड्द्रव्यनवपदार्थत्रिकालपंचास्तिकायषट्कायान्] छह द्रव्यों, नौ पदार्थों, तीन कालों, पाँच अस्तिकायों, छह काय के जीवों को [जानाति] भले प्रकार जानता है [स एव] वही [विदुषां वरः] विद्वानों में [ज्ञानियों में] श्रेष्ठ है।