तिमिपूरणासणेहिं अहिगयपवज्जाओ परिब्भट्टो ।
रत्तंबरं धरित्ता पवट्टियं तेण एयंतं ॥7॥
तिमिपूर्णाशनैः अधिगतप्रवज्यातः परिभ्रष्ट:
रक्ताम्बरं धृत्वा प्रवर्तितं तेन एकान्तम् ॥७॥
अन्वयार्थ : मछलियों के आहार करने से वह ग्रहण की हुई दीक्षा से भ्रष्ट हो गया और रक्ताम्बर (लाल वस्त्र) धारण करके उसने एकान्त मत की प्रवृत्ति की ।