मंसस्स णत्थि जीवो जहा फले दहिय-दुद्ध-सक्करए ।
तम्हा तं वंछित्ता तं भक्खंतो ण पाविट्ठो ॥8॥
मासस्य नास्ति जीवो यथा फले दधिदुग्धशर्करायां च।
तस्मात्तं वांछन् तं भक्षन् न पापिष्ठ: ॥८॥
अन्वयार्थ : फल, दही, दूध, शक्कर, आदि के समान मांस में भी जीव नहीं है, अतएव उसकी इच्छा करने और भक्षण करने में कोई पाप नहीं है ।