विवरीयमयं किच्चा विणासियं सच्चसंजमं लोए ।
तत्तो पत्ता सव्वे सत्तमणरयं महाघोरं ॥17॥
विपरीतमतं क्रत्वा विनाशितः सत्यसंयमो लोके ।
ततः प्राप्ताः सर्वे सप्तमनरकं महाघोरम् ॥१७॥
अन्वयार्थ : उन्होंने विपरीत मत बनाकर संसार में जो सच्चा संयम (जीवदया) था, उसको नष्ट कर दिया और इसके फल से वे सब (पर्वत की माता आदि भी) घोर सातवें नरक में जा पडे ।