सिरिवीरणाहतित्थे बहुस्सुदो पाससंघगणिसीसो ।
मक्कडिपूरणसाहू अण्णाणं मासए लोए ॥20॥
श्रीवीरनाथतीर्थे बहुश्रुतः पार्श्वसंघगणिशिष्यः ।
मस्करि-पूरनसाधुः अज्ञानं भाषते लोके ॥२०॥
अन्वयार्थ : महावीर भगवान के तीर्थ में पार्श्वनाथ तीर्थंकर के संघ के किसी गणी का शिष्य मस्करी पूरन नाम का साधु था। उसने लोक में अज्ञान मिथ्यात्व का उपदेश दिया ।