एक्को सुद्धो बुद्धो कत्ता सव्वस्स जीवलोयस्स ।
सुण्णज्झाणं वण्णावरणं परिसिक्खियं तेण ॥22॥
एक: शुद्धो बुद्ध: कर्त्ता सर्वस्य जीवलोकस्य ।
शून्यध्यानं वर्णावरणं परिशिक्षितं तेन ॥२२॥
अन्वयार्थ : सारे जीवलोक का एक शुद्ध-बुद्ध परमात्मा कर्ता है, शून्य या अमूर्तिक रूप ध्यान करना चाहिए, और वर्णभेद नहीं मानना चाहिए, इस-प्रकार का उसने उपदेश दिया ।