कल्लाणे वरणयरे संत्तसए पंच उत्तरे जादे ।
जावणियसंघभावो सिरिकलसादो हु सेवड़दो ॥29॥
कल्याणे वरनगरे सप्तशते पञ्चोत्तरे जाते |
यापनीयसंघभाव: श्रीकलशतः खलु सितपटत: ॥२९॥
अन्वयार्थ : कल्याण नाम के नगर में विक्रम मृत्यु के ७०५ वर्ष बीतने पर श्रीकलश नाम के श्वेताम्बर साधु से यापनीय संघ का सद्भाव हुआ ।