सिरिवीरसेणसीसो जिणसेणो सयलसत्थविण्णाणी ।
सिरिपउमनंदिपच्छा चउसंघसमुद्धरणधीरो ॥30॥
श्रीवीरसेनशिष्यो जिनसेनः सकलशास्त्रविज्ञानी ।
श्रीपद्मनन्दिपच्छा चतु:संघसमुद्धरणधीरः ॥३०॥
अन्वयार्थ : श्रीवीरसेन के शिष्य जिनसेन स्वामी सकल शास्त्रों के ज्ञाता हुए । श्रीपद्मनन्दि या कुन्दकुन्दाचार्य के बाद ये ही चारों संघों के उद्धार करने में समर्थ हुए ।