आसी कुमारसेणो णंदियडे विणयसेणदिक्खियओ ।
सण्णासभंजणेण य अगहियपुणदिक्खओ जादो ॥33॥
आसीत्कुमारसेनो नन्दितटे विनयसेनदीक्षित: ।
सन्यासभञ्जनेन च अगृहीतपुनर्दीक्षो जात: ॥३३॥
अन्वयार्थ : नन्दीतट नगर में विनयसेन मुनि के द्वारा दीक्षित हुआ कुमारसेन नाम का मुनि था । उसने सन्यास से भृष्ट होकर फिर से दीक्षा नहीं ली और -