एक्को वि य मूलगुणो वीरंगजणामओ जई होई ।
सो अप्पसुदो वि परं वीरोव्व जणं पवोहेइ ॥48॥
एक अपि च मूलगुण: वीरांगजनामकः यतिः भविष्यति ।
स अल्पश्रुतोऽपि परं वीर इव जनं प्रबोधयिष्यति ॥४८॥
अन्वयार्थ : केवल एक ही वीरांगज नाम का यति या साधु मूलगुणों का धारी होगा, जो अल्पश्रुत (शास्त्रों का थोड़ा ज्ञान रखनेवाला) होकर भी वीर भगवान के समान लोगों को उपदेश देगा ।