विशेष :
गुणस्थानों में व्युच्छिति |
व्युच्छिति |
प्रकृतियाँ |
संख्या |
बंध |
उदय |
उदय-व्युच्छिति के पश्चात बंध-व्युच्छिति |
8 |
देव-चतुष्क |
8 |
4 |
आहारक-द्विक |
8 |
6 |
अयशस्कीर्ति |
6 |
4 |
देवायु |
7 |
4 |
युगपत बंध-उदय व्युच्छिति |
31 |
मिथ्यात्व, आतप, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण
| 1 |
1 |
स्थावर, जाति-चतुष्क |
1* |
1* |
अनंतानुबंधी ४ |
2 |
2 |
मनुष्यानुपूर्वी, अप्रत्याख्यानावरणी ४ |
4 |
4 |
प्रत्याख्यानावरणी ४ |
5 |
5 |
भय, जुगुप्सा, हास्य, रति |
8 |
8 |
संज्वलन ३ [क्रोध, मान, माया], पुरुष-वेद |
9 |
9 |
*महाधवल के अनुसार; धवल के अनुसार सासादन में उदय व्युच्छिती |
बंध-व्युच्छिति के पश्चात उदय-व्युच्छिति |
81 |
नरक-त्रिक |
1 |
4 |
असंप्राप्तासृपाटिका संहनन |
7 |
नपुंसक-वेद |
9 |
हुंडक-संस्थान |
13 |
तिर्यञ्चानुपूर्वी, दुर्भग, अनादेय |
2 |
4 |
तिर्यञ्च-गति, तिर्यञ्चायु, उद्योत, नीच-गोत्र |
5 |
स्त्यान-त्रिक |
6 |
अर्ध-नाराच, कीलित-संहनन |
7 |
स्त्री-वेद |
9 |
वज्रनाराच, नाराच संहनन
| 11 |
4 संस्थान [न्यग्रोधपरिमंडल, स्वाति, कुब्जक, वामन], दुस्वर, अप्रशस्त-विहायोगति |
13 |
औदारिक-द्विक, वज्रऋषभनाराच संहनन |
4 |
13 |
मनुष्य -गति, मनुष्यायु |
4 |
14 |
अरति, शोक |
6 |
8 |
अस्थिर, अशुभ |
13 |
असातावेदनीय |
14 |
निद्रा, प्रचला |
8 |
12* |
2 शरीर [तेजस, कार्माण], समचतुरस्र-संस्थान, वर्ण-चतुष्क, अगुरुलघुचतुष्क , प्रशस्त-विहायोगति, प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुस्वर, निर्माण |
13 |
पंचेंद्रिय-जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, तीर्थंकर |
14 |
संज्वलन-लोभ |
9 |
10 |
5 ज्ञानावरण, 4 दर्शनावरण, 5 अंतराय |
10 |
12 |
यशस्कीर्ति, उच्च-गोत्र |
14 |
साता-वेदनीय |
13 |
|
*उपांत्य समय |
|