विशेष :
|
प्रकृति बंध (मार्गणा -- तिर्यञ्च-गति) |
बंध |
अबंध |
व्युच्छिति |
तिर्यञ्च पर्याप्त |
मिथ्यादृष्टि |
117 |
0 |
16 (गुणस्थानोक्त) |
सासादन |
101 |
16 |
31 (25 गुणस्थानोक्त + वज्रवृषभनाराचसंहनन औदारिकद्विक, मनुष्यद्विक, मनुष्यायु) |
मिश्र |
69 |
48 (देवायु) |
0 |
असंयत |
70 (देव-आयु) |
47 |
4 (अप्रत्याख्यानावरण) |
संयतासंयत |
66 |
51 |
|
बंध योग्य प्रकृतियाँ 117 = 120 - 3 (तीर्थंकर, 2-आहारकद्विक) |
तिर्यञ्च निवृत्त्यपर्याप्त |
मिथ्यादृष्टि |
107 |
4 (सुर-चतुष्क) |
13 (16-नरकद्विक, नरकायु) |
सासादन |
94 (107-13) |
17 |
29 (31 - तिर्यंचायु, मनुष्यायु) |
असंयत |
69 (सुर-चतुष्क) |
42 |
4 |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 111 = 120 - 9 (3 + 4 आयु, नरकद्विक) |
|