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देवगति में प्रकृति बंध

  विशेष 

विशेष :


देव-गति मार्गणा में प्रकृति बंध
देवों में बंध-योग्य प्रकृतियाँ = 104 (120 - वैक्रियिक-अष्टक, विकलत्रय, सूक्ष्मत्रय, आहारक-द्विक)
बंध अबंध व्युच्छिति
पर्याप्त भवनत्रिक और देवियाँ मिथ्यात्व 103 0 7 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद, आतप, एकेन्द्रीय, स्थावर)
सासादन 96 7 25 (गुणस्थानोक्त)
मिश्र 70 33 (मनुष्यायु) 0
अविरत-सम्यक्त्व 71 (मनुष्यायु) 32
बंध योग्य प्रकृतियाँ 103 = 104 - तीर्थंकर
सौधर्म-ईशान मिथ्यात्व 103 1 (तीर्थंकर) 7 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद, आतप, एकेन्द्रीय, स्थावर)
सासादन 96 8 25 (गुणस्थानोक्त)
मिश्र 70 34 (मनुष्यायु)
अविरत-सम्यक्त्व 72 (मनुष्यायु, तीर्थंकर) 32
बंध योग्य प्रकृतियाँ 104
सनत्कुमार से सहस्रार मिथ्यात्व 100 1 (तीर्थंकर) 4 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद)
सासादन 96 5 25 (गुणस्थानोक्त)
मिश्र 70 31 (मनुष्यायु) 0
अविरत-सम्यक्त्व 72 (मनुष्यायु, तीर्थंकर) 29
बंध योग्य प्रकृतियाँ 101 = 104 - स्थावर, आतप, एकेन्द्रीय
आनत से नव ग्रैवेयक मिथ्यात्व 96 1 (तीर्थंकर) 4 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद)
सासादन 92 5 21 (25-तिर्यञ्च-त्रिक, उद्योत)
मिश्र 70 27 (मनुष्यायु) 0
अविरत-सम्यक्त्व 72 (मनुष्यायु, तीर्थंकर) 25
बंध योग्य प्रकृतियाँ 97 = 104 - 7 (स्थावर, आतप, एकेन्द्रीय, तिर्यञ्च-त्रिक, उद्योत)
अनुदिश-अनुत्तर 72 32
निवृत्त्यपर्याप्त भवनत्रिक और देवियाँ मिथ्यात्व 101 0 7 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद, आतप, एकेन्द्रीय, स्थावर)
सासादन 94 7
बंध योग्य प्रकृतियाँ 101 = 104 - 3 (तिर्यञ्चायु, मनुष्यायु, तीर्थंकर)
सौधर्म-ईशान मिथ्यात्व 101 1 (तीर्थंकर) 7 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद, आतप, एकेन्द्रीय, स्थावर)
सासादन 96 8 24 (25 गुणस्थानोक्त - तिर्यञ्चायु)
अविरत-सम्यक्त्व 71 (तीर्थंकर) 31
बंध योग्य प्रकृतियाँ 102 = 104 - 2 (तिर्यञ्चायु, मनुष्यायु)
सनत्कुमार से सहस्रार मिथ्यात्व 98 1 (तीर्थंकर) 4 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद)
सासादन 94 5 24 (25 गुणस्थानोक्त - तिर्यञ्चायु)
अविरत-सम्यक्त्व 71 (तीर्थंकर) 28
बंध योग्य प्रकृतियाँ 99 = 104 - 5 (तिर्यञ्चायु, मनुष्यायु, स्थावर, आतप, एकेन्द्रीय)
आनत से नव ग्रैवेयक मिथ्यात्व 95 1 (तीर्थंकर) 4 (मिथ्यात्व, हुंडक-संस्थान, सृपाटिका-संहनन, नपुंसक-वेद)
सासादन 91 5 21 (25-तिर्यञ्च-त्रिक, उद्योत)
अविरत-सम्यक्त्व 71 (तीर्थंकर) 25
बंध योग्य प्रकृतियाँ 96 = 104 - 8 (तिर्यञ्चायु, मनुष्यायु, स्थावर, आतप, एकेन्द्रीय, तिर्यञ्च-द्विक, उद्योत)
अनुदिश-अनुत्तर 71 33 (32+मनुष्यायु)