+ एक जीव के एक काल में होने वाला प्रकृति-बंध -
एक जीव के एक काल में होने वाला प्रकृति-बंध

  विशेष 

विशेष :


एक जीव के एक काल में होने वाला प्रकृति कर्म-बंध की संख्या
ज्ञानावरणी दर्शनावरणी वेदनीय मोहनीय आयु नाम गोत्र अंतराय कुल स्थान
स्थान भंग
14 अयोगकेवली 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0
13 सयोगकेवली 1 1
12 क्षीणमोह
11 उपशान्तमोह
10 सूक्ष्मसाम्पराय 5 4 1 1 1 5 17
9 अनिवृतिकरण 5|4|3|2|1 1 22|21|20|19|18
8 अपूर्वकरण 6|4 9 28|29|30|31|1 55|56|57|58|26
7 अप्रमत्तसंयत 6 1 28|29|30|31 56|57|58|59
6 प्रमत्तसंयत 2 28|29 56|57
5 देशविरत 13 28|29 60|61
4 अविरत 17 28|29|30 64|65|66
3 मिश्र 28|29 63|64
2 सासादन 9 21 4 28|29|30 71|72|73
1 मिथ्यात्व 22 6 23|25|26|28|29|30 67|69|70|72|73|74
5 9|6|4 1 22|21|17|13|9|5|4|3|2|1 1 23|25|26|28|29|30|31|1 1 5
मिथ्यात्व गुणस्थान में मोह के भंग 6 (3 वेद * 2 [हास्य-रति/शोक-आरति])
सासादन गुणस्थान में मोह के भंग 4 (2 वेद * 2 [हास्य-रति/शोक-आरति])
3 से 6 गुणस्थान में मोह के भंग 2 (1 पुरुष वेद * 2 [हास्य-रति/शोक-आरति])