+ संयम मार्गणा में कर्म का उदय -
संयम मार्गणा में कर्म का उदय

  विशेष 

विशेष :


संयम मार्गणा में कर्म का उदय
उदय अनुदय व्युच्छिति
सामायिक / छेदोपस्थापना प्रमत्तसंयत 81 0 5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक)
अप्रमत्तसंयत 76 5 4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति)
अपूर्वकरण 72 9 6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा)
अनिवृतिकरण 66 15 6 (संज्वलन ३, वेद ३)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 81 = 122 - 41 (मिथ्यात्व, सम्यकमिथ्यात्व, आतप, उद्योत, जातिचतुष्क, वैक्रियकअष्टक, स्थावरचतुष्क, कषाय १२, आनुपूर्वी २ [तिर्यञ्च, मनुष्य], तिर्यञ्च गति, तिर्यञ्च आयु, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग, नीच-गोत्र, तीर्थंकर)
परिहारविशुद्धि प्रमत्तसंयत 77 0 3 (स्त्यान-त्रिक)
अप्रमत्तसंयत 74 3 4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 77 = 81 - 4 (वेद २ [स्त्री, नपुंसक], आहारक-द्विक)
सूक्ष्मसाम्पराय सूक्ष्मसाम्पराय 60 0 1 (संज्वलन लोभ)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 60 (गुणस्थानवत्)
यथाख्यात उपशान्तमोह 59 1 (तीर्थंकर) 2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच])
क्षीणमोह 57 3 16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५)
सयोगकेवली 42 (तीर्थंकर) 18 30 (वेदनीय [कोइ १], वज्रवृषभनाराच संहनन, ६ संस्थान, औदारिक शरीर-अंगोपांग, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, अगुरुलघु, उपघात-परघात, उच्छवास, प्रत्येक, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर, प्रशस्त-अप्रशस्त विहायोगति, सुस्वर-दुस्वर)
अयोगकेवली 12 48 12 (वेदनीय [कोइ १], उच्च गोत्र, मनुष्य गति, मनुष्य आयु, पंचेन्द्रिय जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 60
देशविरत संयमासंयम 87 0 8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 87 (गुणस्थानवत्)
असंयम मिथ्यात्व 117 2 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति) 5 (मिथ्यात्व, आतप, सूक्ष्मत्रय)
सासादन 111 8 (-नरक आनुपूर्व्य) 9 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, जातिचतुष्क)
मिश्र 100 (+सम्यक-मिथ्यात्व) 19 (-आनुपूर्व्य ३ [देव, मनुष्य, तिर्यन्च]) 1 (सम्यकमिथ्यात्व)
अविरत 104 (+आनुपूर्व्य ४, सम्यक-प्रकृति) 15 17 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियकअष्टक, आनुपूर्व्य [मनुष्य, तिर्यंच], अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 119 = 122 - (तीर्थंकर, आहारक-द्विक)