+ दर्शन मार्गणा में कर्म का उदय -
दर्शन मार्गणा में कर्म का उदय

  विशेष 

विशेष :


दर्शन मार्गणा में कर्म का उदय
उदय अनुदय व्युच्छिति
चक्षु मिथ्यात्व 110 4 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति) 2 (मिथ्यात्व, अपर्याप्त)
सासादन 107 7 (-नरक आनुपूर्व्य) 5 (अनंतानुबंधी ४, ४ इंद्रिय जाति)
मिश्र 100 (+सम्यक-मिथ्यात्व) 14 (-आनुपूर्व्य ३ [देव, मनुष्य, तिर्यन्च]) 1 (सम्यकमिथ्यात्व)
अविरत 104 (+आनुपूर्व्य ४, सम्यक-प्रकृति) 10 17 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियिक-अष्टक, मनुष्यानुपूर्वी, तिर्यञ्चानुपूर्वी, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
संयमासंयम 87 27 8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत)
प्रमत्तसंयत 81 33 5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक)
अप्रमत्तसंयत 76 38 4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति)
अपूर्वकरण 72 42 6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा)
अनिवृतिकरण 66 48 6 (संज्वलन ३, वेद ३)
सूक्ष्मसाम्पराय 60 54 1 (संज्वलन लोभ)
उपशान्तमोह 59 55 2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच])
क्षीणमोह 57 57 16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 114 = 122 - 8 (आतप, जाति ३ [१,२,३ इंद्रिय], स्थावर, सूक्ष्म, साधारण, तीर्थंकर)
अचक्षु मिथ्यात्व 117 4 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति) 5 (मिथ्यात्व, आतप, सूक्ष्मत्रय)
सासादन 111 10 (-नरक आनुपूर्व्य) 9 (अनंतानुबंधी ४, जातिचतुष्क, स्थावर)
मिश्र 100 (+सम्यक-मिथ्यात्व) 21 (-आनुपूर्व्य ३ [देव, मनुष्य, तिर्यन्च]) 1 (सम्यकमिथ्यात्व)
अविरत 104 (+आनुपूर्व्य ४, सम्यक-प्रकृति) 17 17 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियिक-अष्टक, मनुष्यानुपूर्वी, तिर्यञ्चानुपूर्वी, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
संयमासंयम 87 34 8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत)
प्रमत्तसंयत 81 40 5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक)
अप्रमत्तसंयत 76 45 4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति)
अपूर्वकरण 72 42 6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा)
अनिवृतिकरण 66 49 6 (संज्वलन ३, वेद ३)
सूक्ष्मसाम्पराय 60 55 1 (संज्वलन लोभ)
उपशान्तमोह 59 61 2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच])
क्षीणमोह 57 64 16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 121 = 122 - तीर्थंकर
अवधि उदय-योग्य प्रकृतियाँ 106 = 122 - 16 (मिथ्यात्व, सम्यकमिथ्यात्व, आतप, जातिचतुष्क, स्थावरचतुष्क, अनंतानुबंधी ४, तीर्थंकर) [अवधिज्ञानवत्, गुणस्थान 4 से 12]
केवल उदय-योग्य प्रकृतियाँ 42 [केवलज्ञानवत्, गुणस्थान 13,14]