विशेष :
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लेश्या मार्गणा में कर्म का उदय |
उदय |
अनुदय |
व्युच्छिति |
कृष्ण / नील |
मिथ्यात्व |
117 |
2 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति) |
6 (मिथ्यात्व, सूक्ष्मत्रय, आतप, नरकानुपूर्वी) |
सासादन |
111 |
8 |
13 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, जातिचतुष्क, देव-त्रिक, तिर्यञ्चानुपूर्वी) |
मिश्र |
98 (+सम्यक-मिथ्यात्व) |
21 (-मनुष्यानुपूर्व्य) |
1 (सम्यकमिथ्यात्व) |
अविरत |
99 (+मनुष्यानुपूर्व्य, सम्यक्त्व-प्रकृति) |
20 |
12 (अप्रत्याख्यानावरण ४, नरक गति, नरक आयु, वैक्रियिक-द्विक, मनुष्यानुपूर्व्य, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 119 = 122 - 3 (आहारक-द्विक, तीर्थंकर) |
कापोत |
मिथ्यात्व |
117 |
2 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति) |
5 (मिथ्यात्व, सूक्ष्मत्रय, आतप) |
सासादन |
111 |
8 (-नरक आनुपूर्व्य) |
12 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, जातिचतुष्क, देव-त्रिक) |
मिश्र |
98 (+सम्यक-मिथ्यात्व) |
21 (-आनुपूर्व्य २ [मनुष्य, तिर्यञ्च]) |
1 (सम्यकमिथ्यात्व) |
अविरत |
101 (+आनुपूर्व्य ३ [मनुष्य, तिर्यञ्च, नरक], सम्यक-प्रकृति) |
18 |
14 (अप्रत्याख्यानावरण ४, नरक-त्रिक, वैक्रियिक-द्विक, आनुपूर्व्य २, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 119 = 122 - 3 (आहारक-द्विक, तीर्थंकर) |
पीत / पद्म |
मिथ्यात्व |
103 |
5 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, आहारक-द्विक, मनुष्यानुपूर्वी) |
1 (मिथ्यात्व) |
सासादन |
102 |
6 |
4 (अनंतानुबंधी ४) |
मिश्र |
98 (+सम्यक-मिथ्यात्व) |
10 (-आनुपूर्व्य १ [देव]) |
1 (सम्यकमिथ्यात्व) |
अविरत |
100 (+आनुपूर्व्य २ [देव, मनुष्य], सम्यक-प्रकृति) |
8 |
13 (अप्रत्याख्यानावरण ४, देव-द्विक, वैक्रियिक द्विक, आनुपूर्वी २ [मनुष्य, देव], अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग) |
संयमासंयम |
87 |
21 |
8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत) |
प्रमत्तसंयत |
81 |
27 |
5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक) |
अप्रमत्तसंयत |
76 |
32 |
4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 108 = 122 - 14 (आतप, जातिचतुष्क, स्थावरचतुष्क, नरकत्रिक, तिर्यञ्चानुपूर्वी, तीर्थंकर) |
शुक्ल |
मिथ्यात्व |
103 |
6 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, तीर्थंकर, आहारक-द्विक, मनुष्यानुपूर्वी) |
1 (मिथ्यात्व) |
सासादन |
102 |
7 |
4 (अनंतानुबंधी ४) |
मिश्र |
98 (+सम्यक-मिथ्यात्व) |
11[-देवानुपूर्वी] |
1 (सम्यकमिथ्यात्व) |
अविरत |
100 (+आनुपूर्व्य २, सम्यक-प्रकृति) |
9 |
13 (अप्रत्याख्यानावरण ४, देव-त्रिक, वैक्रियिक द्विक, मनुष्यापूर्वी, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग) |
संयमासंयम |
87 |
22 |
8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत) |
प्रमत्तसंयत |
81 |
28 |
5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक) |
अप्रमत्तसंयत |
76 |
33 |
4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति) |
अपूर्वकरण |
72 |
37 |
6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा) |
अनिवृतिकरण |
66 |
43 |
6 (संज्वलन ३, वेद ३) |
सूक्ष्मसाम्पराय |
60 |
49 |
1 (संज्वलन लोभ) |
उपशान्तमोह |
59 |
50 |
2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच]) |
क्षीणमोह |
57 |
52 |
16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५) |
सयोगकेवली |
42 (तीर्थंकर) |
67 |
42 (वेदनीय २, वज्रवृषभनाराच संहनन, ६ संस्थान, औदारिक-द्विक, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर, विहायोगति २, उच्च गोत्र, मनुष्य २ [गति, आयु], पंचेन्द्रिय जाति, वर्णचतुष्क, अगुरुलघुचतुष्क, त्रसचतुष्क, सुभगचतुष्क, दुस्वर, तीर्थंकर) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 109 = 122 - 13 (आतप, जातिचतुष्क, स्थावरचतुष्क, नरकत्रिक, तिर्यञ्चानुपूर्वी) |
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