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सम्यक्त्व मार्गणा में कर्म का उदय

  विशेष 

विशेष :


सम्यक्त्व मार्गणा में कर्म का उदय
उदय अनुदय व्युच्छिति
उपशम अविरत 100 0 14 (अप्रत्याख्यानावरण ४, देव-त्रिक, वैक्रियिक द्विक, नरकायु, नरक-गति, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
संयमासंयम 86 14 8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत)
प्रमत्तसंयत 78 22 3 (स्त्यान-त्रिक)
अप्रमत्तसंयत 75 25 3 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच])
अपूर्वकरण 72 28 6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा)
अनिवृतिकरण 66 34 6 (संज्वलन ३, वेद ३)
सूक्ष्मसाम्पराय 60 40 1 (संज्वलन लोभ)
उपशान्तमोह 59 41 2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच])
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 100 = 122 - 22 (मिथ्यात्व, सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक्त्व, आतप, स्थावरचतुष्क, अनंतानुबंधी ४, जातिचतुष्क, आनुपूर्व्य ३ [नरक, मनुष्य, तिर्यञ्च], आहारक-द्विक, तीर्थंकर)
वेदक अविरत 104 2 (आहारक-द्विक) 17 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियकअष्टक, आनुपूर्वी २ [तिर्यञ्च, मनुष्य], अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
संयमासंयम 87 19 8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत)
प्रमत्तसंयत 81 (आहारक-द्विक) 25 5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक)
अप्रमत्तसंयत 76 30 76
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 106 = 122 - 16 (मिथ्यात्व, सम्यकमिथ्यात्व, अनंतानुबंधी ४, आतप, स्थावरचतुष्क, जातिचतुष्क, तीर्थंकर)
क्षायिक अविरत 103 3 (तीर्थंकर, आहारक-द्विक) 20 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियकअष्टक, आनुपूर्वी २ [तिर्यञ्च, मनुष्य], तिर्यञ्चायु, उद्योत, तिर्यञ्चगति, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
संयमासंयम 83 23 5 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र)
प्रमत्तसंयत 80 (आहारक-द्विक) 26 5 (स्त्यान-त्रिक, आहारक-द्विक)
अप्रमत्तसंयत 75 31 3 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच])
अपूर्वकरण 72 34 6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा)
अनिवृतिकरण 66 40 6 (संज्वलन ३, वेद ३)
सूक्ष्मसाम्पराय 60 46 1 (संज्वलन लोभ)
उपशान्तमोह 59 47 2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच])
क्षीणमोह 57 49 16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५)
सयोगकेवली 42 (तीर्थंकर) 64 30 (वेदनीय [कोइ १], वज्रवृषभनाराच संहनन, ६ संस्थान, औदारिक शरीर-अंगोपांग, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, अगुरुलघु, उपघात-परघात, उच्छवास, प्रत्येक, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर, प्रशस्त-अप्रशस्त विहायोगति, सुस्वर-दुस्वर)
अयोगकेवली 12 94 12 (वेदनीय [कोइ १], उच्च गोत्र, मनुष्य गति, मनुष्य आयु, पंचेन्द्रिय जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 106 = 122 - 16 (मिथ्यात्व, सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक्त्व, अनंतानुबंधी ४,आतप, स्थावरचतुष्क, जातिचतुष्क)
मिश्र उदय-योग्य प्रकृतियाँ 100 = 122 - 22 (मिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, अनंतानुबंधी ४, स्थावरचतुष्क, जातिचतुष्क, आतप, आनुपूर्व्य ४, आहारक-द्विक, तीर्थंकर)
सासादन उदय-योग्य प्रकृतियाँ 111 = 122 - 11 (मिथ्यात्व, सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, सूक्ष्मत्रय, आतप, नरकानुपूर्व्य, आहारक-द्विक, तीर्थंकर)
मिथ्यात्व उदय-योग्य प्रकृतियाँ 117 = 122 - 5 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, आहारक-द्विक, तीर्थंकर)