+ ओघ से एक जीव के एक काल में कर्म-उदय -
ओघ से एक जीव के एक काल में होने वाला कर्म-उदय

  विशेष 

विशेष :


ओघ से एक जीव के एक काल में होने वाला प्रकृति कर्म-उदय के स्थान / भंग
ज्ञानावरणी दर्शनावरणी वेदनीय मोहनीय आयु नाम गोत्र अंतराय
प्रकृति प्रकृति प्रकृति स्थान-संख्या प्रकृति स्थान भंग प्रकृति स्थान-संख्या प्रकृति प्रकृति प्रकृति
अयोगकेवली 0 0 1 0 0 0 0 1 2 8,9 1 0
सयोगकेवली 8 20,21,26,27,28,29,30,31
क्षीणमोह 5 4, 5 1 30 5
उपशान्तमोह
सूक्ष्मसाम्पराय 1 1 1 1
अनिवृतिकरण 2 2, 1 1,1 24,10
अपूर्वकरण 3 6, 5, 4 1,2,1 प्रत्येक स्थान के 24 (4 कषाय * 3 वेद * 2 [हास्य-रति/शोक-अरती])
अप्रमत्तसंयत 4 7, 6, 5, 4 1,3,3,1
प्रमत्तसंयत 4 7, 6, 5, 4 1,3,3,1 5 25,27,28,29,30
देशसंयत 4 8, 7, 6, 5 1,3,3,1 2 30,31
असंयत 4 9, 8, 7, 6 1,3,3,1 8 21,25,26,27,28,29,30,31
मिश्र 3 9,8,7 1,2,1 3 29,30,31
सासादन 3 9, 8, 7 1,2,1 7 21,24,25,26,29,30,31
मिथ्यात्व 4 10,9,8,7 1,3,3,1 9 21,24,25,26,27,28,29,30,31
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