+ योग की अपेक्षा गुणस्थानों में मोहनीय के उदय संबंधी भंग -
योग की अपेक्षा गुणस्थानों में मोहनीय के उदय संबंधी भंग

  विशेष 

विशेष :


योग की अपेक्षा गुणस्थानों में मोहनीय के उदय संबंधी भंग
गुणस्थान योग मोहनीय उदय-भंग कुल भंग
सूक्ष्मसाम्पराय 9 1 9
अनिवृत्तिकरण सवेद 9 12 108
अवेद 9 4 36
अपूर्वकरण 9 4 * 24 36*24
अप्रमत्त संयत 9 8 * 24 72*24
प्रमत्त संयत 11 8 * 24 88*24
देशविरत 9 8 * 24 72*24
असंयत सम्यक्त्व पर्याप्त 10 8 * 24 80*24
अपर्याप्त 2 8 * 16 16*16
1 (औ.मि.) 8 * 8 64
वैक्रियिक-मिश्र और कार्मण काय योग में स्त्री वेद का उदय नहीं
औदारिक मिश्र योग मे एक पुरुष वेद ही संभव
पर्याप्त अवस्था में मोहनीय के उदय भंग = 8 (सम्यक्त्व के उदय/अनुदय * भय/जुगुप्सा के भजनीय उदय से) * 24 (4 कषाय * 3 वेद * 2 हास्य-रति / शोक-अरति)
मिश्र 10 4 * 24 40*24
सासादन 12 4 * 24 48*24
1 (वै.मि.) 4 * 16 64
वेक्रियिक मिश्र योग के साथ नपुंसक वेद का उदय नहीं
मिथ्यादृष्टि पर्याप्त 10 8 * 24 80*24
अपर्याप्त 3 4 * 24 12*24
पर्याप्त अवस्था में मोहनीय के उदय भंग = 8 (2 अनंतानुबंधी के उदय/अनुदय * 4 भय/जुगुप्सा के भजनीय उदय / अनुदय से) * 24 (4 कषाय * 3 वेद * 2 हास्य-रति / शोक-अरति)
अपर्याप्त अवस्था में अनंतानुबंधी का उदय अवश्य है
सर्व भंग 13,209
पंचसंग्रह -- सप्ततिका अधिकार गाथा 329 से 343