विशेष :
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योग की अपेक्षा गुणस्थानों में मोहनीय के उदय संबंधी पदवृंद भंग |
योग |
मोहनीय स्व-स्व उदय-स्थानगत भंग |
पदवृंद |
गुणा |
कुल पदवृंद भंग |
सूक्ष्मसाम्पराय |
9 |
1 |
9 |
1 |
9 |
अनिवृत्तिकरण |
सवेद |
9 |
1 (2) |
9 * 2 |
12 |
216 |
अवेद |
9 |
1 (1) |
9 * 1 |
4 |
36 |
अपूर्वकरण |
9 |
20 (6,5,5,4) |
20 * 9 |
24 |
4320 |
अप्रमत्त संयत |
सम्यक्त्व सहित |
9 |
24 (7,6,6,5) |
24 * 9 |
24 |
5184 |
सम्यक्त्व रहित |
20 (6,5,5,4) |
20 * 9 |
24 |
4320 |
प्रमत्त संयत |
सम्यक्त्व सहित |
11 |
24 (7,6,6,5) |
24 * 11 |
24 |
6336 |
सम्यक्त्व रहित |
20 (6,5,5,4) |
20 * 11 |
24 |
5280 |
देशविरत |
सम्यक्त्व सहित |
9 |
28 (8,7,7,6) |
28 * 9 |
24 |
6048 |
सम्यक्त्व रहित |
24 (7,6,6,5) |
24 * 9 |
24 |
5184 |
असंयत सम्यक्त्व |
पर्याप्त |
सम्यक्त्व सहित |
10 |
32 (9,8,8,7) |
32 * 10 |
24 |
7680 |
सम्यक्त्व रहित |
28 (8,7,7,6) |
28 * 10 |
24 |
6720 |
अपर्याप्त |
सम्यक्त्व सहित |
2 |
32 (9,8,8,7) |
32 * 2 |
16 |
1024 |
सम्यक्त्व रहित |
28 (8,7,7,6) |
28 * 2 |
16 |
896 |
सम्यक्त्व सहित |
1 (औ.मि.) |
32 (9,8,8,7) |
32 * 1 |
8 |
256 |
सम्यक्त्व रहित |
28 (8,7,7,6) |
28 * 1 |
8 |
224 |
वेक्रियिक-मिश्र और कार्मण काय योग में स्त्री वेद का उदय नहीं |
औदारिक मिश्र योग मे एक पुरुष वेद ही संभव |
मिश्र |
10 |
32 (9,8,8,7) |
32 * 10 |
24 |
7680 |
सासादन |
12 |
32 (9,8,8,7) |
32 * 12 |
24 |
9216 |
1 (वै.मि.) |
32 * 1 |
16 |
512 |
मिथ्यादृष्टि |
पर्याप्त |
अनं. सहित |
10 |
36 (10,9,9,8) |
36 * 10 |
24 |
8640 |
अनं. रहित |
32 (9,8,8,7) |
32 * 10 |
24 |
7680 |
अपर्याप्त |
3 |
36 |
36 * 3 |
24 |
2592 |
पर्याप्त अवस्था में अनंतानुबंधी सहित मोहनीय के उदय स्थान = 10 (1 मिथ्यात्व + 4 कषाय + 2 हास्य-रति/शोक-अरति + 1 वेद + भय + जुगुप्सा), 9 (भय/जुगुप्सा में से कोई एक), 8 (भय/जुगुप्सा रहित) |
अपर्याप्त अवस्था में अनंतानुबंधी का उदय अवश्य है |
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सर्व पदवृंद भंग |
90053 |
पंचसंग्रह -- सप्ततिका अधिकार गाथा 345 से 360 |
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