+ मोहनीय के सत्त्व अधिकरण, बंध-उदय आधेय भंग -
मोहनीय कर्म के सत्त्व अधिकरण, बंध-उदय आधेय त्रिसंयोग भंग

  विशेष 

विशेष :


मोहनीय कर्म के सत्त्व अधिकरण, बंध-उदय आधेय त्रिसंयोग भंग
सत्वस्थान बंधस्थान उदयस्थान गुणस्थान
28 10 (22,21,17,13,9,5,4,3,2,1) 9 (10,9,8,7,6,5,4,2,1) 1 से 11
27 1 (22) 3 (10,9,8) 1
26
24 8 (17,13,9,5,4,3,2,1) 8 (9,8,7,6,5,4,2,1) 3 से 11
23 3 (17,13,9) 5 (9,8,7,6,5) 4 से 7
22
21 8 (17,13,9,5,4,3,2,1) 7 (8,7,6,5,4,2,1) 4 से 11 (क्षायिक स.)
13 2 (5,4) 1 (2) 9 (क्ष. श्रे.)
12
11 2 (2,1)
5 1 (4) 1 (1)
4 2 (4,3)
3 2 (3,2)
2 2 (2,1)
1 1 / 0 9,10 (क्ष. श्रे.)
गोम्मटसार कर्मकांड गाथा -- 669-672